I remember writing this one for motivating myself. While I have never managed to remember the complete poem at any point of time, the first 4 lines are something I tend to remember once in a while whenever I'm feeling low.
तूफानों से लड़ने का जिगर रख ऐ बन्दे
मंज़िल तू सारी पार कर जायेगा
गिर कर संभलने का दम रख ऐ बन्दे
फिर एक उड़ान में तू आसमान भी छू कर आएगा |
चाहे मुश्किलें हज़ार रास्ते में तेरे आएं
पत्थर की बौछार हो और काटों के रास्ते बन जाये
तू दिल में रख ताकत इतनी, कि ये रुकावट भी तेरे बढ़ना ना रोक पाएं
तू होसलो में रख बुलंदी इतनी, कि इन मुश्किल राहों में भी तेरे कदम ना लड़खड़ायें |
मुकद्दर में क्या लिखा है ये कोई नहीं जानता
इंसान के काम से ही है हर कोई उसे पहचानता
रख बाज़ुओ में ज़ोर इतना, ना टूटे तेरे कर्मो कि डोर
बस एक मंज़िल बना ले, फिर बढे जा उसकी ओर |
कर ले खुद पर विश्वास इतना, फिर किस्मत के हाथो भी तू ना हार पायेगा
कर ले खुद को बुलंद इतना, फिर भगवान भी तेरी मंज़िल तुझसे ना छीन पायेगा |
तूफानों से लड़ने का जिगर रख ऐ बन्दे
मंज़िल तू सारी पार कर जायेगा
गिर कर संभलने का दम रख ऐ बन्दे
फिर एक उड़ान में तू आसमान भी छू कर आएगा |
Once again, Crediting https://hindi.changathi.com/ for helping me convert English text into Hindi where required.
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