Tuesday, February 09, 2021

Some poems - 5 - Couplets

I remember these below couplets happened when I was once travelling to college from Delhi. I met a localite who belonged to the town of Loharu travelling in the seat next to mine, and it turned out he was the grandson of a local Urdu poet. On the way, he explained to me some basics of Khyal, Nazm, and Shayari, and encouraged me in my juvenile attempts at writing couplets and poems.

Once again, Crediting https://hindi.changathi.com/ for helping me convert English text into Hindi where required.

Couplet 1

तेरे बिना रहें तो रहें कैसे, तू ही तो हैं साँसों सा ज़रूरी 

तेरे बिना सोचे तो सोचे कैसे, तुझ बिन मेरी सोच अधूरी

तेरे बिना जियें तो जियें कैसे, तू ही तो ज़िन्दगी मेरी

तेरे बिना मरें तो मरें कैसे, तुझे पाना ही हैं आखिरी ख्वाहिश मेरी |

Couplet 2

उन्होंने बात करी कुछ ऐसे अदब से कि हम बेज़ुबान हो गए

उनकी हसीं, उनकी चल, हर अदा पर हम फ़िदा हो कर रह गए

देख के उन्हें मन में हुई हलचल और दिल खामोश ना रह सका

उन्होंने अनकही बात भी आँखों से समझली कुछ ऐसे, कि वो मालिक और हम गुलाम बन गए |

Couplet 3

आग के दरिया में शोलो कि कश्ती में

अंगारो के साथ कोयले कि बसरी में

चलता जा रहा हूँ मैं जाने किस मस्ती में

जला जा रहा हूँ मैं आज अपनी ही हस्ती में |

Couplet 4

कुछ करने से क्यों डरता  है तू - इस मंज़र को बदलने कि कोशिश तो कर

मिट जायेगा नमो निशान इस ख़ामोशी का तू एक मुस्कान फ़ैलाने कि ज़ुर्रत तो कर

जगमगा उठेगा रौशनी का कारवां तू एक दिया जलाने कि हिम्मत तो कर


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